Shri Salasar Balaji Chalisa श्री सालासर बालाजी चालीसा | श्री सालासर बालाजी का चालीसा हिंदी में Shri Salasar Balaji Chalisa In Hindi | श्री सालासर बालाजी चालीसा Shri Salasar Balaji Chalisa Salasar Balaji Hanuman Chalisa श्री सालासर बालाजी चालीसा के फायदे Shri Salasar Balaji Chalisa Ke Fayde श्री सालासर बालाजी चालीसा के लाभ Shri Salasar Balaji Chalisa Ke Labh Shri Salasar Balaji Chalisa Benefits Shri Salasar Balaji Chalisa in Hindi Shri Salasar Balaji Chalisa Pdf Shri Salasar Balaji Chalisa Mp3 Download Shri Salasar Balaji Chalisa Lyrics.
सालासर बाबा के दरबार में भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु, श्री Shri Salasar Balaji Chalisa पढ़ते हैं। आहार आपके पास बाबा का चालीसा नहीं हैं, तो आप यहाँ से कॉपी कर नित्य बाबा का अलोकिक चालीसा कर सकते हैं। नित्य पाठ करने वालो भक्तो की बाबा सारी मनोकामना पूर्ण करते हैं। राजस्थान के शेखावाटी आंचल के चुरू जिले के सालासर नगर में श्री सालासर बालाजी का शक्ति पीठ स्थल पुरे भारत में विख्यात हैं। सालासर के इस पवन मंदिर में रोज हजारो भक्त दर्शन हेतु आते हैं।
Shri Salasar Balaji Chalisa
🙏श्री सालासर बालाजी चालीसा दोहा🙏
गुरु गिरा अरु गणपति, पुनि विनवऊॅ हनुमान |
सालासर के देवता, सदा करो कल्याण || (१)
लाल देह की लालिमा, मूर्ति लाल ललाम |
हाथ जोड़ विनती करूं, पुरण करो सबके काम || (२)
🛕श्री सालासर बालाजी चालीसा चौपाई🛕
श्री सालासर बालाजी चालीसा चौपाई
जय जय जय सालासर धामा |
पावन रुचिर लोक अभीरामा || (१)
जिमि पावन मथुरा अरू काशी |
पुष्कर कुरुक्षेत्रं सुखरासी || (२)
अवधपुरि, गंगे हरिद्वारा |
सालासर शुभ वरणु विचारा || (३)
राजस्थान सीकर निहराये |
लक्ष्मणगढ़ नगर मन भाये || (४)
तेहि नियम सालासर ग्रामा |
सर्कल भान्ति शुभ शुचि सुकधामा || (५)
सिद्ध पीठ यह परम पुनिता |
हनुमत दर्शन सब दु:ख बीता || (६)
ताते विनय करो सुनु बाई |
भजहुं पवनसुत सुमति पाई || (७)
सालासर हनुमत जिमि आवा |
कहुं सकल सुनु मन समुझावा || (८)
मोहनदास विप्र सब जाना |
भक्ति भाव गुण ज्ञान निधाना || (९)
उदय संगं ले खेत कमाये |
एक बार हनुमत तहं आये || (१०)
कह कपि विप्र सुनो मम बानी |
कीजे ध्यान भक्ति जिय जानी || (११)
तब तजि मोहन विप्र विचारी |
हनुमत जन सदा सुखकारी || (१२)
करई भजन भक्ति अरू ध्याना |
नित्य होई मिलन हनुमाना || (१३)
आसोटा मुरति प्रगटाये |
ले ठाकुर सालासर आये || (१४)
विक्रम अष्टादश शत ग्यारह |
आयऊ हनुमत रवि जिमि बारह || (१५)
श्रावण सित नवमी शनीवारा |
थायन योग भूमि असवारा || (१६)
मोहन पूजन हवन करवाई |
कपि मूरति थापी सुखदाई || (१७)
आरती मोहन मंगल गावा |
ढोल नगारा शब्द मुहावा || (१८)
चढे़ चूरमा भोग लगाये |
भजन कीर्तन सब मिलकर गाये || (१९)
एक बार मोहन मन भाई |
भई प्रेरणा मुर्त सजाई || (२०)
चित्र रचा जो मन सुखदाई |
भये प्रसन्न हनुमत कपिराई || (२१)
घृत सिंदूर थाल भर लीना |
मुरत लाल ललित कर दीना || (२२)
मोहन बोले उदय बुलाई |
हनुमत कहं अवराधै आई || (२३)
सेवहुं हनुमत लग्न लगाई |
नित प्रति भगती बढै सवाई || (२४)
सालासर जयकार मुहाई |
चहुंदिशी घंटा धुनि मन भाई || (२५)
दिन दिन हो मंदिर विस्तारा |
पूजा करे उदय परिवारा || (२६)
मंगल पूनम जो मन भाये |
सालासर शुभ दर्शन पाये || (२७)
ध्वजा नारियल आत चढ़ाये |
खांड चूरमा भोग लगाये || (२८)
हनुमत भजन करइ मन लाई |
सालासर हनुमान मनाई || (२९)
एहिविधि आई धोक लगाये |
मन इच्छा फल सब जन पाये || (३०)
आत्म ज्ञान बढे़ नित नाया |
जब ते होय हनुमत दाया || (३१)
सब विघ्न कष्ट विकार हटावे |
सालासर शरणा जो जावे || (३२)
चिंता सांपिनी ताको भाजे |
जाके हिय में हनुमत राजे || (३३)
हनुमत दर्शन अति मन भाई |
लाल देह छवि कहि नहिं जाई || (३४)
दूर-दूर से आवे लोग लुगाई |
बड़े भाग ते दर्शन पाई || (३५)
करहि सफल सब निज निज लोचन |
करि करि दर्शन संकट मोचन || (३६)
हनुमत महिमा चहुंदिशि गाजे |
सालासर हनुमान विराजे || (३७)
सालासर शुभ धाम भजामी |
जय जय जय बजरंग नमामि || (३८)
इंद्रजीत कपिराई सहाई |
सालासर महिमा जो गाई || (३९)
सालासर हनुमत चालीसा |
पढें सुने शुभ करे कपीसा || (४०)
दोहा
चालीसा शुभ धाम का, गाये जो चितलाय |
इंद्रजीत भगति बढें, दया करे कपिराय ||
ओम सुमर गाते रहो, नित श्री सीताराम |
सालासर शरणा गहो, करि हनुमत प्रणाम ||
॥ श्री सालासर हनुमान जी का चालीसा सम्पूर्ण ॥
॥ जय–घोष ॥
बोलो सालासर बालाजी की जय
श्री सालासर बालाजी चालीसा || Shri Salasar Balaji Chalisa || Salasar Balaji Hanuman Chalisa
हम यहा आपको श्री सालासर बालाजी चालीसा के बारे में बताने जा रहे हैं। श्री सालासर बालाजी चालीसा को नियमित रूप से करने से जातक को श्री सालासर बालाजी का आशीर्वाद मिलता है। श्री सालासर बालाजी चालीसा के बारे में बताने जा रहे हैं।
॥ दोहा ॥
गुरु गिरा अरु गणपति, पुनि विनवउँ हनुमान |
सालासर के देवता, सरा करो कल्याण ||
लाल देह की लालिमा, मूरति लाल ललाम |
हाथ जोड़ विनति करूं, पुरवहु सबके काम ||
॥ चोपाई ॥
जय जय जय सालासर धामा, पावन रुचिर लोक अभिरामा ||
जिमि पावन मथुरा अरु कासी | पुष्कर कुरुक्षेत्र सुखरासी ||
अवधपुरि, गंगे हरिद्वारा, सालासर शुभ वरणु विचारा ||
राजस्थान सीकटर निहराये, लछमनगढ़ नगर मन भाये ||
तेहि नियम सालासर ग्रामा, सकल भान्ति शुभ शुणि सुकधामा ||
सिद्ध पीठ यह परम पुनिता | हनुमत दर्शन सब दु:ख बीता ||
ताते विनय करो सुनु बाई, भजहुं पवनसुत सुमति पाई ||
सालासर हनुमत जिमि आवा, कहुं सकल सुनु मन समुझावा ||
मोहनदास विप्र सब जाना| भगति भाव गुण ज्ञान निधाना ||
उदय संगं ले खेत कमाये | एक बार हनुमत तहं आये ||
कह कपि विप्र सुनो मम बानी, कीजे ध्यान भगति जिय जानी ||
सब तजि मोहन विप्र विचार। हनुमत्बजन सदा सुककारी ||
करइ भजन भगति अरू ध्याना, नित्य होई मिलन हनुमाना ||
आसोटा मूर्ति प्रगटाये, ले ठाकुर सालारार आये ||
विक्रम अष्टादश शत् ग्यारह, आयऊ हनुमद् रवि जिमि बारह ||
श्रावण सित नवनी शनिवारा, भायन गोग भूमि असवारा ||
मोहन पूजन हवन कराई | कपि मूरति धापी सुखदाई |
आरति मोहन मंगल गावा | ढोल नगारा शब्द मुहावा ||
चढे़ चूरमा भोग लगाये, भजन कीर्तन राब मिल गाये ||
एक बार मोहन मन भाई, भई प्रेरणा मूर्त सजाई |
चित्र रचा जो मन सुखदाई, भये प्रसन्न हनुमत् कपिराई ||
घत सिन्दूर थाल भर लीना, मूरत लाल ललित कर दीना ||
मोहन बोले उदय बुलाई | हनुमद्कहं अवराधै आई ||
सेवहुं हनुमद् लग्न लगाई, नित प्रति भगति बढ़ै सवाई ||
सालासर जयकार मुहाई, चहुँदिशि घंटा धुनि मन भाई ||
दिन दिन हो मंदिर विस्तारा | पूजा करे उदय परिवारा ||
मंगल पूनम जो मन भाये | सालासर शुभ दर्शन पाये |
ध्वजा नारियल आत चढ़ाये, खाण्ड चूरमा भोग लगाये ||
हनुमल भजन कर मन लाई, सालासर हनुमान मनाई ||
एहिविधि आई धोक लगाये, मन इच्छा फल सब जन पाये ||
आत्म ज्ञान बढ़े नित नाया | जब ते होये हनुमत दाया ||
सब विघ्न कष्ट विकार हटावे, सालासर शरणा जो जावे ||
चिन्ता सापिनी ताको भाजे, जाके हिय में हनुमत राजे ||
हनुमत दर्शन अति गन भाई, लाल देह छवि कहि नहिं जाई ||
दूर दूर ते लोग लुगाई, बड़े भाग ते दर्शन पाई |
करहि सफल सब निज निज लोचन, करि करि दर्शन संकट मोचन |
हनुमत महिमा चहुँ दिशि गाजे, सालासर हनुमान विराजे ||
सालासर शुभ धाम भजामी, जय जय जय बजरंग नमामी |
‘इन्द्रजीत‘ कपिराई सहाई | सालासर महिमा जो गाई ||
सालासर हनुमत चालीसा, पढ़े सुने शुभ करे कपीसा ||
दोहा: चालीसा शुभधाग का, गाये जो चितलाय |
‘इन्द्रजीत भगति बढ़े, दया करें कपिराय ||
ओउम सुमर गाते रहो, नित श्री सीतारामा |
सालासर शरणा गहो, करि हनुमत प्रणाम ||
जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान ।।
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