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शिरोमणि अकाली दल ‘शीअड‘ की नाराजगी भाजपा से सिर्फ किसानों के मुद्दे पर ही नहीं थी बल्कि वही आरसी से केंद्र सरकार ने अपनी उपेक्षा से नाराज था। यदि पिछले एक-दो साल की राजनीतिक घटनाक्रम पर बात की जाए तो करीब हम आधा दर्जन ऐसे मौके आए जब सियाज को अपने बड़े सहयोगी से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा था। यह भी कहा जा रहा था कि शिअद की सुनवाई नहीं होने वाली है। हां, किसानों से संबंधित मौजूदा कानूनों को लेकर अकाली दल को राज्य से अलग होने का निर्णय फैसला लेने का विवाद या होना पड़ा।
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इसी महीने के अंदर सरकार ने कश्मीरी टेकरी तथा हिंदी की कश्मीरी की आधिकारिक भाषाओं में शामिल किए गए अकाली दल चाहता था कि इस पंजाबी को शामिल किया ( krishi Bill ) जाए कश्मीरी में कश्मीरी में पंजाबी बोलने वाले ज्यादातर लोग हैं तथा यह राज्य की पुरानी भाषा है। बादल ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ( Modi News ) के द्वारा ( Krishi vibhag ) और अमित शाह को भी लिखा लेकिन सुनवाई नहीं हुआ। वरिष्ठ नेता नरेश गुर्जर लाल कहते कि यह छोटी सी बात थी। तर्कसंगत अनुपात थी। लेकिन सरकार अभी तक नहीं माना।
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पिछले साल संसद के मानसून सत्र में सरकार ने अकाली दल से विरोध के बावजूद अंतर राज्य और नदी जल विवाद ’संशोधन’ विधायक को लोकसभा से पारित कर लिया गया। इसमें ( Krishi vibhag ) जल विवादों का तय समय के भीतर निपटाने का प्रधान है। अकाली दल को लगता है कि इसके पंजाब के हिस्से का पानी अन्य राज्य को जा सकता है ऐसे ले विधायक अभी राज्यसभा को दूसरे कारण से लंबित कर रहे हैं।
नाराजगी का तीसरा कारण हरियाणा में शिअद की एक मात्रा एमएलए का भाजपा में शामिल होने हैं नाराजगी का तीसरा कारण हरियाणा में शिअद की एक मात्रा एमएलए का भाजपा में शामिल होना है। सिएट ने ( Modi News ) कहा कि भाजपा के संगठन की मर्यादा का उल्लंघन किया जा रहा है कृषि बिल
बादल की सलाह नहीं ली गई।
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दीअद नेताओं की कोई बैठक नहीं हुई
d.Ed नेताओं की शिकायत किया है कि वे एनडीए के पुरानी सहयोगी है लेकिन हाल ही में वर्षों में अहमद मुद्दों पर विचार विमर्श के लिए कोई बैठक नहीं की गई। संसद सत्र के दौरान जरूर एनटीएस की बैठक होती है लेकिन वह सिर्फ सत्र की राजनीति को लेकर होती है।
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Posted by Amar Gupta
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