Shri Salasar Balaji Aarti | Shri Salasar Balaji Ki Aarti : श्री सालासर बालाजी की आरती श्री सालासर बालाजी हनुमान की आरती जयति जय जय बजरंग बाला Shri Salasar Balaji Ki Aarti Hindi Me सालासर वाले की आरती, सालासर की आरती, सालासर बाबा की आरती, सालासर हनुमान जी की आरती Shri Salasar Balaji Aarti Salasar Balaji Ki Om Jai Hanumat Veera Salasar Balaji Dham Mandir – श्री सालासर बालाजी धाम मंदिर (ईशरदाश जी का)
श्री सालासर बालाजी का मंदिर शेखवाटी में एक सालासर बालाजी का मंदिर ” राजस्थान ” के सालासर नामक कस्बे में स्थित हैं। यह मंदिर सीकर जिले से 58 km, सुजानगढ़ से 25 km और लक्ष्मणगढ़ (सीकर) से 28 km की दूरी पर स्थित हैं। मंदिर में सुबह शाम Shri Salasar Balaji Ki Aarti में स्थानीय भक्तो के आलावा देश से भी भक्त आरती और दर्शन के लिए आते हैं।
श्री सालासर बालाजी का यह मंदिर भारत में ऐसा एक मात्र मंदिर हैं, जहाँ बालाजी के दाढ़ी और मूँछ हैं। हर साल चैत्र की पूर्णिमा और आश्विन की पूर्णिमा पर विशाल मेलों का आयोजन होता हैं। जिसमे राजस्थान के आलावा उतर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, मुंबई, गुजरात, कलकता, एवं देश के अन्य हिस्सों से भक्त आते हैं।
Shri Salasar Balaji Aarti
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🙏श्री सालासर बाला जी की आरती🙏
जयति जय जय बजरंग बाला,
कृपा करो हे सालासर वाला | (टेक) जयति जय जय…..
चैत सुदी पूनम को जन्मे, अंजनी पवन ख़ुशी मन में |
प्रकट भये सुर वानर तन में, विदित यस विक्रम त्रिभुवन में || जयति जय जय….
दूध पीवत स्तन मात के, नजर गई नभ ओर |
तब जननी की गोद से पहुंचे, उदयाचल पर भोर ||
अरुण फल लखि रवि मुख डाला || जयति जय जय..
तिमिर भूमण्डल में छाई, चिबुक पर इन्द्र बज्र बाए |
तभी से हनुमत कहलाए, द्वय हनुमान नाम पाये || जयति जय जय..
उस अवसर में रूक गयो, पवन सर्व उन्चास |
इधर हो गयो अन्धकार, उत रुक्यो विश्व को श्वास ||
भये ब्रह्मादिक बेहाला, जयति जय जय..
देव सब आये तुम्हारे आगे, सकल मिल विनय करन लागे |
पवन कू भी लाए सागे, क्रोध सब पवन तना भागे || जयति जय जय..
सभी देवता वर दियो, अरज करी कर जोड़ |
सुनके सबकी अरज गरज,लखि दिया रवि को छोड़ ||
हो गया जगमें उजियाला, जयति जय जय..
रहे सुग्रीव पास जाई, आ गये बन में रघुराई |
हरी रावण सीतामाई, विकल फिरते दोनों भाई || जयति जय जय..
विप्र रूप धरि राम को, कहा आप सब हाल |
कपि पति से करवाई मित्रता, मार दिया कपि बाल ||
दुःख सुग्रीव तना टाला, जयति जय जय..
आज्ञा ले रघुपति की धाया, लंक में सिन्धु लाँघ आया |
हाल सीता का लख पाया, मुद्रिका दे बनफल खाया ||
बन विध्वंस दशकंध सुत, वध कर लंक जलाय |
चूड़ामणि सन्देश सिया का, दिया राम को आय ||
हुए खुश त्रिभुवन भूपाला, जयति जय जय ..
जोड़ कपि दल रघुवर चाला, कटक हित सिन्धु बांध डाला |
युद्ध रच दीन्हा विकराला, कियो राक्षस कुल पैमाला ||
लक्षमण को शक्ति लगी, लायौ गिरी उठाय |
देई संजीवन लखन जियाये, रघुवर हर्ष सवाय ||
गरब सब रावण का गाला, जयति जय जय ..
रची अहिरावण ने माया, सोवते राम लखन लाया |
बने वहाँ देवी की काया, करने को अपना चित चाया ||
अहिरावण रावण हत्यौ, फेर हाथ को हाथ |
मन्त्र विभीषण पाय आप को,हो गयो लंका नाथ ||
खुल गया करमा का ताला, जयति जय जय ..
अयोध्या राम राज्य किना, आपको दास बना लीना |
अतुल बल घृत सिन्दूर दीना, लसत तन रूप रंग भीना ||
चिरंजीव प्रभु ने कियो, जग में दियो पुजाय |
जो कोई निश्चय कर के ध्यावै, ताकी करो सहाय ||
कष्ट सब भक्तन का टाला, जयति जय जय..
भक्तजन चरण कमल सेवे, जात आय सालासर देवे |
ध्वजा नारियल भोग देवे, मनोरथ सिद्धि कर लेवे ||
कारज सारो भक्त के, सदा करो कल्यान |
विप्र निवासी लक्ष्मणगढ़ के, बालकृष्ण धर ध्यान ||
नाम की जपे सदा माला, कृपा करो हे सालासर वाला, जयति जय जय..
|| सालासर बाला जी की आरती सम्पूर्ण ||
बोलो सालासर बाला जी की जय
बोलो बाला जी गुरुदेव की जय
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🙏श्री सालासर बाला जी की आरती🙏