original hanuman chalisa pdf मूल हनुमान चालीसा original hanuman chalisa by tulsidas original hanuman chalisa english असली हनुमान चालीसा
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने तुलसीकृत हनुमान चालीसा की चौपाइयों में चार अशुद्धियां बताईं साथ ही कहा कि इन्हें सही किया जाना चाहिए। इसके बाद उनके बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया। गुरु रामभद्राचार्य का कहना था कि हनुमान भक्तों को चालीसा की चौपाइयों का शुद्ध उच्चारण करना चाहिए। हनुमान चालीसा गलत छपा [चार अशुद्धियां] के अधिक जानकारी के लिए आप यहा क्लिक करे।
🙏Original Hanuman Chalisa By Rambhadracharya ji🙏
◉ बजरंग बली के भक्त हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए चालीसा का पाठ करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है, लेकिन तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने हाल ही में दावा किया है कि हनुमान चालीसा की कई चौपाईयों में अशुद्धियां है, जिनको ठीक किया जाना चाहिए। हनुमान चालीसा की चौपाइयों में गलती है।
◉ लेकिन आप टेंशन ना ले, हमने आपके लिए जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी के द्वारा हनुमान चालीसा लिरिक्स शुद्ध उच्चारण निचे दी है l आप पढ़े और अपने मित्रो के साथ शेयर जरूर करें l
|| जय श्री राम ||
🙏असली हनुमान चालीसा चालीसा श्लोक🙏
अतुलित बलधामं हेम शैलाभदेहं,
दनुज-वन कृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् |
सकल गुणनिधानं वानराणामधीशं ,
रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि ||
🙏असली हनुमान चालीसा दोहा🙏
श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि |
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ||
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार |
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार ||
🛕असली हनुमान चालीसा चौपाई के साथ🛕
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर |
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ||
रामदूत अतुलित बल धामा |
अंजनि–पुत्र पवनसुत नामा ||
महावीर विक्रम बजरंगी |
कुमति निवार सुमति के संगी ||
कंचन बरन विराज सुवेसा |
कानन कुण्डल कुंचित केसा ||
हाथ बज्र और ध्वजा बिराजै |
काँधे मूँज जनेऊ साजै ||
‘शंकर स्वयं केसरी नंदन’|
तेज प्रताप महा जगबन्दन ||
विद्यावान गुनी अति चातुर |
राम काज करिबे को आतुर ||
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया |
राम लखन सीता मन बसिया ||
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा |
विकट रूप धरि लंक जरावा ||
भीम रूप धरि असुर संहारे |
रामचंद्र जी के काज संवारे ||
लाय संजीवन लखन जियाये |
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ||
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई |
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ||
सहस बदन तुम्हरो यश गावैं |
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ||
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा |
नारद सारद सहित अहीसा ||
जम कुबेर दिक्पाल जहां ते |
कवि कोविद कहि सके कहां ते ||
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा |
राम मिलाय राजपद दीन्हा ||
तुम्हरो मंत्र विभीषन माना |
लंकेश्वर भये सब जग जाना ||
जुग सहस्र योजन पर भानू |
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ||
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं |
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं ||
दुर्गम काज जगत के जेते |
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ||
राम दुआरे तुम रखवारे |
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ||
सब सुख लहै तुम्हारी सरना |
तुम रक्षक काहू को डरना ||
आपन तेज सम्हारो आपै |
तीनों लोक हांक तें कांपै ||
भूत–पिशाच निकट नहिं आवै |
महावीर जब नाम सुनावै ||
नासै रोग हरै सब पीरा |
जपत निरंतर हनुमत बीरा ||
संकट तें हनुमान छुड़ावै |
मन-क्रम–वचन ध्यान जो लावै ||
‘ सब पर राम राज सिर ताजा ‘|
तिनके काज सकल तुम साजा ||
और मनोरथ जो कोई लावै |
सोई अमित जीवन फल पावै ||
चारों जुग परताप तुम्हारा |
है परसिद्ध जगत उजियारा ||
साधु सन्त के तुम रखवारे |
असुर निकंदन राम दुलारे ||
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता |
अस वर दीन जानकी माता ||
राम रसायन तुम्हरे पासा |
‘ सादर हो रघुपति के दासा ‘||
तुम्हरे भजन राम को पावै |
जनम-जनम के दुख ‘बिसरावै ||
अन्तकाल रघुबरपुर जाई |
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई ||
और देवता चित्त न धरई |
हनुमत सेई सर्व सुख करई ||
संकट कटै मिटै सब पीरा |
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ||
जय जय जय हनुमान गोसाईं |
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ||
‘यह सत बार पाठ कर जोई’ |
छूटहि बंदि महासुख होई ||
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा |
होय सिद्धि साखी गौरीसा ||
तुलसीदास सदा हरि चेरा |
कीजै नाथ हृदय महँ डेर ||
|| दोहा ||
पवन तनय संकट हरन,
मंगल मूरति रूप |
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसहु सुर भूप ||
|| जय-घोष ||
बोलो सियावर रामचंद्र की जय
पवनपुत्र हनुमान की जय॥
|| जय श्री राम ||
◉ हनुमान चालीसा गलत छपा [चार अशुद्धियां] के अधिक जानकारी के लिए आप यहा क्लिक करे l
◉ श्री हनुमंत लाल की पूजा आराधना में हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और संकटमोचन अष्टक का पाठ बहुत ही प्रमुख माने जाते हैं।
Orignal श्री हनुमान जी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की |
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ||
जाके बल से गिरिवर कांपै |
रोग-दोष जाके निकट न झांकै ||
अंजनि पुत्र महा बलदाई |
संतन के प्रभु सदा सहाई ||
दे बीरा रघुनाथ पठाये |
लंका जारि सिया सुधि लाये ||
लंका सो कोट समुद्र सी खाई |
जात पवन सुत बार न लाई ||
लंका जारि असुर संहारे |
सिया रामजी के काज संवारे ||
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे |
लाय संजिवन प्राण उबारे ||
पैठि पताल तोरि जमकारे |
अहिरावण की भुजा उखारे ||
बाईं भुजा असुर दल मारे |
दाहिने भुजा संतजन तारे ||
सुर नर मुनिजन आरती उतारें |
जै जै जै हनुमान उचारें ||
कंचन थार कपूर लौ छाई |
आरती करत अंजना माई ||
जो हनुमान जी की आरती गावै |
बसि बैकुंठ परमपद पावै ||
लंक विध्वंस कीन्ह रघुराई |
तुलसीदास पभु कीरति गाई ||
आरती किजे हनुमान लला की |
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ||
॥ इति संपूर्णंम् ॥
◉ श्री हनुमंत लाल की पूजा आराधना में हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और संकटमोचन अष्टक का पाठ बहुत ही प्रमुख माने जाते हैं।
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